वृंदावन, ये नाम, ये स्थान प्रभू श्री कृष्ण के साथ पिरोया हुआ है. यहां 5000 से ज्यादा मंदिर हैं, पवित्र यमुना, जो वृंदावन से गुज़रती है, उसका श्री कृष्ण से सम्बंध कौन नहीं जानता
परन्तु यहीं, वृंदावन में एक बगीचा है, या यूँ कहिये एक छोटा सा वन है- निधि वन Nidhivan. निधि वन अर्थात पवित्र वन. संसार भर में श्री कृष्ण के भक्तों मे यह धारणा है कि महाप्रभु कृष्ण और गोपियां आज यहां रात को भी रस लीला नृत्य करने आते हैं.
कृष्ण और राधा की पहली भेंट
ऐसी मान्यता है कि यहीं, इसी जगह राधा और कृष्ण की पहली बार भेंट हुई थी. ऐसा माना जाता है राधा और गोपियां गेंद से इस बगिया में खेल रहीं थीं और उनकी गेंद बाहर गिर गयी . स्मरण रहे जब कन्याएं यहां खेलती थी तो लड़कों और पुरुषों का Nidhivan में आना प्रतिबंधित था. पर नन्हें कान्हा गेंद लेकर नंदनवन के अंदर चले गए.
उन्हें वहां देख सभी गोपियां और राधा श्री कृष्ण के रूप से सम्मोहित हो गयीं. इतना आकर्षक बालक कभी देखा नहीं था पहले. सब एकटक कन्हैया को देखती रहीं. राधा ने स्वयं को संभाला और धमकाते हुए बोलीं – हे बालक , तुम्हें नहीं मालूम इस निधि वन में इस समय किसी पुरुष का आना मना है . इसका दण्ड मिलेगा तुम्हें. और दण्ड ये है कि कल से रोज इसी समय तुम्हें यहां आना है और जब भी हमारी गेंद बाहर जाएगी, तुम्हें हों लानी पड़ेगी … ये एक बहाना था राधारानी का नन्हे कान्हा के रोज़ दर्शन करने का.
और इस प्रकार नन्हें कान्हा प्रतिदिन निधिवन जाने लगे.
आज भी कृष्ण और राधा की रासलीला
आज भी यह धारणा है कि पूरनमासी की रात श्री कृष्ण निधि वन आते हैं और राधाजी और गोपियों संग रास लीला करते हैं.
यह वन तुलसी के पौधों का वन है जहां छोटे छोटे तुलसी के पेड़ पौधे हैं. Nidhivan में कोई भी एक पेड़ अकेला नहीं है अपितु दो पेड़ एक दूसरे से लिपटे हुए हैं. यहां उन्हें श्याम -श्यामा कहा जाता है, यानी कृष्ण-राधा.
सूखी धरती पर हरे-भरे वृक्ष
सबसे बड़ा अचम्भा यह है कि यहां, इस वन में जितने कुएँ हैं वो सभी सूख गए हैं, इन पेड़ों की छाल खोखली है और धरती सूखी हुई है पर ये पेड़ साल के 365 दिन हरी पत्तियों से झूल रहीं होती हैं .
जो Nidhivan में रात को रुका, वो गया
सब से आश्चर्यजनक बात ये हैं कि कुछ लोगों ने Nidhivan में रात को रुक कर, छिप कर रस लीला देखने की कोशिश की परंतु अगली सुबह वो लोग या तो मृत पाए गए या उनकी यादाश्त खो गई या मानसिक तौर पर असंतुलित हो गए .
Nidhivan में रात को आराम करने रुकते हैं कृष्ण और राधा
यहीं रंगमहल नामक एक मंदिर है जहां कृष्ण और राधा थकाऊ नामक नृत्य के उपरांत रात बिताते हैं. ऐसा माना जाता है कि पूरनमासी की राधा और कृष्ण अपने थका देने वाले नृत्य के बाद आराम करने के लिए इस मंदिर में आते हैं। इसीलिए उसका नाम थकाऊ मंदिर है. मंदिर में कृष्ण और राधा के विश्राम के लिए चंदन के बिस्तर हैं। उस शाम, मंदिर के द्वार बंद करने से पहले, मंदिर के पुजारी बिस्तर बनाते हैं, राधा के लिए चूड़ियाँ, फूल, कपड़े,आभूषण, तुलसी के पत्ते, दातुन इत्यादि के रूप में इस्तेमाल की जाने वस्तुएँ रखते हैं . ऐसा पाया जाता है कि अगली सुबह दातुन चबाई गयी हैँ, मिठाई भी खाई हुई है और पान पर दांतों के निशान होते हैं.
स्वामी हरि दास ने किए श्री कृष्ण के दर्शन
स्वामी हरिदास जी, जो तानसेन के गुरु थे, उनकी याद में समर्पित एक मंदिर भी है Nidhivan में , जिसका नाम श्री बंसीचोरी राधारानी मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि स्वामी हरिदास, जो कृष्ण के अनन्य भक्त थे, वो चाहते थे कि जीवन के आखिरी पड़ाव मे कृष्ण के दर्शन हो जाएं. अतः एक रात वो निधि वन में जान बूझ कर कृष्ण और राधा की रास लीला देखने रुक गए और इच्छा अनुसार श्री कृष्ण के दर्शन होते ही प्राण त्याग दिए.
बंदर, मोर, पक्षी – सब त्याग देते हैं Nidhivan में रात को
अब यहां न कोई रुकता है न कि देखता है . जो घर निधि वन की ओर हैं वो रात को खिड़कियां बिल्कुल बंद कर के सोते हैं ताकि कोई निधि वन की ओर न देख सके . दिन में निधि वन में बहुत मात्रा मे बंदर और मोर होते हैं पर सूर्य अस्त होते होते सब निधि वन छोड़, बाहर आ जाते हैं और किसी का चेहरा निधि वन की ओर नहीं होता.
निधि वन ग्रीष्म में प्रात: 5 बजे से 8 बजे तक खुला होता है और सर्दी में प्रातः 6 से साये 7 तक खुला रहता है .
दो पहर 1 से 3:30 बंद रहता है.
क्या Nidhivan में रात को आराम करने रुकते हैं कृष्ण और राधा
ऐसा माना जाता है कि पूरनमासी की राधा और कृष्ण अपने थका देने वाले नृत्य के बाद आराम करने के लिए इस मंदिर में आते हैं।
निधिवन में रात में क्या होता है?
यह धारणा है कि पूरनमासी की रात श्री कृष्ण निधि वन आते हैं और राधाजी और गोपियों संग रास लीला करते हैं.
[…] ठीक वहीं मौजूद है जहां भगवान कृष्ण ने घने जंगल (वैन) में दर्शन किए थे और […]
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