HomeAncient TemplesKokilavan Dham Shani Dev Mandir कोकिलावन धाम शनि देव मंदिर

Kokilavan Dham Shani Dev Mandir कोकिलावन धाम शनि देव मंदिर

मथुरा, उत्तर प्रदेश के पास कोसी कलां नामक गाँव में प्रसिद्ध शनि देव मंदिर (Shani Dev Mandir) का मंदिर स्थित है. यह कोकिलावन धाम (Kokilavan Dham) के नाम से प्रसिद्ध है.और ये मंदिर घने जंगलों में स्थित है।

शनि क्या एक क्रूर देवता हैं?

शनिदेव को ज्योतिष में न्याय का देवता माना जाता है, और न्यायाधीश न्यायकारी होने के कारण उनके दंड के विधान भी चलाता है। जहां एक तरफ ज्योतिष में जहां शनि को क्रूर ग्रह माना गया है वहीं वहीं जानकारों का कहना है कि शनि केवल आपके कर्मों के आधार पर ही फल देते हैं, शनि देव गलत कर्म किए जाने पर न्याय के विधान के तहत दंड देते हैं,वहीं यदि आपके कर्म काफी अच्छे रहे हैं तो शनिदेव इसका फल पुरस्कार के रूप में भी देते हैं,

Kokilavan Dham Shani Dev Mandir

श्री कृष्ण की भक्ति Kokilavan Dham Shani Dev Mandir

ऐसी मान्यता है कि द्वापरयुग में शनिदेव ने भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की थी। प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए थे। श्रीकृष्ण ने कहा था कि नंदगांव के करीब, कोसी कलां के समीप एक वन है जो अब से कोकिला वन नाम से जाना जाएगा और वो वन अब से शनि देव है। इसीलिए इस वन का नाम कोकिला वन Kokilavan Dham है.

शनिदेव की भक्ति का फल

उस मान्यता के अनुसार जो भी भक्त शनिदेव की पूजा करेगा और इस वन की परिक्रमा ककरेगा उसे मेरी यानी श्री कृष्ण की और शनिदेव दोनों की ही कृपा प्राप्त होती है। यही कारण है कि कोकिलावन Kokilavan Dham के शनिदेव मंदिर को सिद्ध मंदिर भी माना जाता है. कोकिला धाम में श्री शनि देव मंदिर, श्री गोकुलेश्वर महादेव मंदिर, श्री गिरिराज मंदिर, श्री बाबा बनखंडी मंदिर, श्री देव बिहारी मंदिर प्रमुख हैं। मंदिरों के अलावा यहां दो प्राचीन सरोवर और गोऊ शाळा भी स्थित हैं।

यशोदा मैया ने शनि देव को रोका

ये भी मानना है कि जब बृजमंड में जब श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था तब सभी देवी-देवता उनके दर्शन के लिए आए थे। शनिदेव भी उपस्थित थे,लेकिन मां यशोदा ने उन्हें श्रीकृष्ण के दर्शन करने नहीं दिए थे। उन्हें डर था कि कहीं शनि देव की वक्र दृष्टि श्रीकृष्ण पर ना पड़ जाएं।

शनिदेव इससे बहुत निराश हो गए और उन्होंने नंदगांव के पास के जंगल में तपस्या करते हुए समय बिताया. उन्होंने सोचा कि उन्हें शिशु कृष्ण से मिलने की अनुमति नहीं है क्योंकि उन्होंने मानव जाति को उनके कर्मों के लिए दंडित किया था और इसलिए बस अपना कर्तव्य पूरा कर रहे थे. वह चिढ़ भी गए क्योंकि लोग उसे कठोर देवता कहते थे.

श्री कृष्ण का शनि देव को आशिर्वाद

श्रीकृष्ण ने उनके तप से प्रसन्न होकर शनिदेव को दर्शन दिए। श्रीकृष्ण ने शनि देव से कहा आप सदैव इसी स्थान पर अपना वास करना। श्रीकृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए थे इसलिए इस वन को कोकिलावन नाम से जाना जाता है

भगवान श्री कृष्ण उनकी तपस्या खुश होकर शनि देव से अपने मंदिर के रूप में मुलाकात की और कहा कि जो कोई भी कोकिलावन धाम Kokilavan Dham या शनि देव मंदिर मथुरा जाएगा उनकी सभी चिंताओं से छुटकारा मिलेगा.  उत्तर प्रदेश के मथुरा से करीब 10 किलोमीटर दूर कोसी कलां के कोकिलावन धाम में आज भी भगवान शनिदेव का असली मंदिर मौजूद है.

श्री कृष्ण की मुरली और गोपियाँ

मंदिर ठीक वहीं मौजूद है जहां भगवान कृष्ण ने घने जंगल (वैन) में दर्शन किए थे और इसमें शनि देव के शिक्षक बरखंडी बाबा का मंदिर भी है.एक और परंपरा यह है कि युवा भगवान कृष्ण इस जंगल में जाते थे और गोपियों को आकर्षित करने वाली धुन बजाते थे.

शनि न्याय के देवता

शनि देव जी हर इंसान को उसके कर्मों का फल देते हैं . अगर किसी ने अच्छे कर्म किए तो अच्छे फल और किसी ने बुरे कर्म किए तो बुरे फल. पर मनुष्य को केवल दण्डित फल ही याद रहते हैं इसी कारण सब इनसे डरते हैं. इसीलिए माना जाता है कि अगर कोई यहां कोकिला वन Kokilavan Dham की परिक्रमा कर दे तो दण्ड का प्रभाव या मात्रा कम ही जाती है या वो माफ़ नहीं हो जाती है. यहां परिक्रमा लगाने से शनि देव और प्रभु श्री कृष्ण, दोनों का वरदान प्राप्त होता है.

ये लेख भक्तों की मान्यताओं के आधार पर लिखा गया है. कहते हैं जिसकी जैसी मान्यता वैसा उसका फल !!

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